हार में अगले तीन वर्षों में 120 नए बाइपास का निर्माण किया जाएगा। इसमें सबसे अधिक बेगूसराय में 11 बाइपास का निर्माण होगा। इसकी कुल लंबाई 20.10 किलोमीटर है। जबकि सबसे अधिक लंबे बाइपास की बात करें तो कैमूर अव्वल है। कैमूर में मात्र छह बाइपास ही बनेंगे पर इसकी कुल लंबाई 52 किलोमीटर होगी।
खर्च के हिसाब से देखें तो कटिहार में 33 किलोमीटर लंबे मात्र चार बाइपास बनेंगे पर इसके निर्माण पर 419 करोड़ खर्च होंगे, जो सबसे अधिक है। बिहार का इकलौता जिला लखीसराय है, जहां एक भी बाईपास निर्माण की योजना नहीं है। बताते चलें कि हाल ही में लखीसराय में नए बाइपास का उद्घाटन हो चुका है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष पथ निर्माण विभाग की ओर से सोमवार को सुलभ संपर्कता योजना के तहत प्रजेंटेशन में राज्य में बनने वाले बाइपास का ब्योरा पेश किया गया। सरकार के सात निश्चय-दो के तहत सुलभ सम्पर्कता योजना पर काम हो रहा है। बाइपास बनाने के लिए विभाग ने राज्य के सभी जिले में पथवार अध्ययन किया। अध्ययन में इस बात पर जोर रहा कि किस इलाके में सबसे अधिक जाम की समस्या हो रही है। इसके तहत ग्रामीण कार्य विभाग या नगर निकायों की वैसी सड़कों को चिह्नित किया गया है, जिसे चौड़ा कर आसानी से बाइपास बनाया जा सके। वैसे आवश्यकतानुसार सिंचाई विभाग के अधीन तटबंधों को भी सड़क के रूप में विकसित किया जाएगा।
अगर किसी जिले में किसी भी विभाग की सड़क नहीं है तो वहां ग्रीनफील्ड यानी नई सड़क बनाकर बाइपास का निर्माण किया जाएगा। अगर नई सड़क के निर्माण में भी बाधा आए तो मौजूदा सड़क पर ही एलिवेटेड रोड बनाकर बाइपास के रूप में उसका उपयोग किया जाएगा। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, बाइपास के चयन में इस बात का पूरा ख्याल रखा गया है कि जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई कम से कम करनी पड़े, ताकि योजनाओं को ससमय पूरा किया जा सके। जिन सड़कों को बाइपास बनाया जाएगा, उसकी चौड़ाई कम से कम सात मीटर होगी।
अभी बिहार के 24 जिले में बाइपास बने हुए हैं। जबकि बिहार के 350 से अधिक प्रखंडों को दो लेन सड़कों से जोड़ा जा चुका है। जिला मुख्यालयों को फोरलेन से जोड़ने की योजना पर भी काम चल रहा है। 19 जिला मुख्यालय 4 फोरलेन से जुड़े हुए हैं। 9 और जिलों में इस योजना पर काम चल रहा है जबकि बाकी 10 जिलों को फोरलेन मुख्यालय से जोड़ने की योजना पहले से ही तैयार है। बाइपास का निर्माण इसके अतिरिक्त होगा।
होगी सुविधा
बाइपास बनने से लोगों को जाम की समस्या से मुक्ति मिलेगी। राज्य के किसी भी कोने से पांच घंटे में पटना आने का सपना साकार होगा। न केवल जिला मुख्यालय बल्कि प्रखंड मुख्यालय, थाना, अनुमंडल, महत्वपूर्ण स्थलों में बाजार, अस्पताल, महत्वपूर्ण शैक्षणिक संस्थान, धार्मिक परिसर, पर्यटक स्थलों में भी आना-जाना आसान होगा।
जिला कुल लंबाई लागत राशि
अरवल 4 12.68 33.78
बक्सर 4 19.65 150.33
भागलपुर 4 49.05 173
भोजपुर 6 34.63 193
कैमूर 6 52.58 142
बेगूसराय 11 20.10 134
पूर्वी चम्पारण 3 25.80 340
वैशाली 5 34.65 91.40
कटिहार 4 33.16 419
मधेपुरा 4 13.75 53
खगड़िया 3 8.10 19.50
पूर्णिया 5 32.55 106.26
शिवहर 2 8.67 45
रोहतास 5 13.10 104
बांका 1 13.20 40
नवादा 1 11 127.15
जमुई 1 3.40 20.31
सीतामढ़ी 2 7.25 136.50
मुजफ्फरपुर 1 21.10 345
गोपालगंज 5 13.70 43.70
समस्तीपुर 3 26.31 107.80
सारण 5 37.20 491.12
सहरसा 4 15.20 20.30
औरंगाबाद 3 15 46.18
दरभंगा 3 24.70 73.50
गया 3 24.55 53.84
पटना 3 7.50 25
नालंदा 4 15.23 80
किशनगंज 1 3 9
अररिया 1 5 29
जहानाबाद 1 1.80 50
मधुबनी 4 47.10 150
मुंगेर 2 18.10 66
शेखपुरा 1 7.40 22
सुपौल 1 10.20 47.39
पश्चिम चम्पारण 2 2.70 85
सीवान 2 19.42 81
लखीसराय शून्य