भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था के वृद्धि की राह पर लौट आने का अनुमान है। कोरोना वायरस महामारी के कारण अर्थव्यवस्था में पहली तिमाही में 23.9 फीसद और दूसरी तिमाही में 7.5 फीसद की गिरावट आई है। मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, दूसरी छमाही में कुछ सकारात्मक वृद्धि की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि पूरे वित्तीय वर्ष 2020- 21 के दौरान अर्थव्यवस्था में 7.5 फीसद तक गिरावट रहने का अनुमान है। हालांकि, इससे पहले बैंक ने वर्ष के दौरान 9.5 फीसद की गिरावट आने का अनुमान लगाया था।
रिजर्व बैंक ने अक्तूबर में जारी पूर्वानुमान में कहा था कि चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी में 9.5 फीसद की गिरावट आ सकती है। दास ने कहा कि अर्थव्यवस्था तीसरी तिमाही में वृद्धि की राह पर लौट सकती है। उन्होंने कहा कि तीसरी तिमाही में 0.1 फीसद और चौथी व अंतिम तिमाही में 0.7 फीसद आर्थिक वृद्धि की उम्मीद है। इस तरह चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में वृद्धि दर के सकारात्मक रहने की उम्मीद है। रिजर्व बैंक ने अक्तूबर के मौद्रिक नीति समीक्षा बयान में कहा था कि 2020-21 में वास्तविक जीडीपी में 9.5 फीसद गिरावट रहने का अनुमान है। रिजर्व बैंक ने तब तीसरी तिमाही में 5.6 फीसद गिरावट और चौथी तिमाही में 0.5 फीसद की वृद्धि का अनुमान जाहिर किया था।
दिसंबर तिमाही में 6.8% रह सकती खुदरा महंगाई

भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा कि आने वाले महीनों में खुदरा महंगाई के उसके संतोषजनक स्तर से ऊंची बने रहने का अनुमान है। केन्द्रीय बैंक के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 6.8 फीसद रह सकती है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का विचार है कि जल्द नष्ट होने वाली कृषि उपज की कीमतों से सर्दियों के महीनों में क्षणिक राहत को छोड़कर मुद्रास्फीति के तेज बने रहने की संभावना है। हालांकि, खुदरा मुद्रास्फीति के 2020-21 की चौथी तिमाही में कम होकर 5.8 फीसद रहने का अनुमान है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति तेजी से बढ़कर सितंबर में 7.3 फीसद और अक्टूबर में 7.6 फीसद पर पहुंच गयी। उनके अनुसार, कीमतों का दबाव बढ़ने से पिछले दो महीने के दौरान मुद्रास्फीति का परिदृश्य उम्मीद की तुलना में प्रतिकूल रहा है।
अनाज की कीमतों में नरमी का अनुमान

उन्होंने कहा, खरीफ फसलों की भारी आवक से अनाज की कीमतों का नरम होना जारी रह सकता है और सर्दियों में सब्जियों की कीमत में भी नरमी आ सकती है, लेकिन अन्य खाद्य सामग्रियों के दाम अधिक बने रहने की आशंका है। इनका दबाव खुदरा मुद्रास्फीति पर बना रह सकता है। दास ने कहा, इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए खुदरा मुद्रास्फीति के चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 6.8 फीसद, चौथी तिमाही में 5.8 फीसद और 2021-22 की पहली छमाही में 5.2 से 4.6 फीसद के दायरे में रहने का अनुमान है।
रेपो रेट में बदलाव नहीं
आरबीआई ने शुक्रवार को पेश द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में मुद्रास्फीति के उच्च स्तर को देखते हुए प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 4 फीसद पर बरकरार रखा। रेपो दर में किसी तरह का बदलाव नहीं होने से लोगों के आवास, वाहन समेत अन्य खुदरा कर्ज पर ब्याज दरें यथावत रह सकती हैं। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति के मामले में उदार रुख बरकरार रखा है। इसका मतलब है कि आने वाले महीनों में जरूरत पड़ने पर वह नीतिगत दर में कटौती कर सकता है। रेपो दर वह दर है जिस पर बैंक फौरी जरूरतों के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं जबकि रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों से अतिरिक्त नकदी जिस दर पर प्राप्त की जाती है उसे रिवर्स रेपो दर कहते हैं। इससे पहले, केंद्रीय बैंक आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये मार्च से रेपो दर में 1.15 फीसद कटौती कर चुका है।
डिजिटल बैंकिंग में भरोसा बनाए रखने के लिए कार्रवाई

शक्तिकांत दास ने कहा कि डिजिटल बैंकिंग में लोगों का भरोसा बनाये रखने के लिए एचडीएफसी बैंक के ऊपर कार्रवाई की गई। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि प्रौद्योगिकी के मोर्चे पर बैंकों को अधिक निवेश करने की जरूरत है। एचडीएफसी बैंक की डिजिटल सेवाओं में हाल ही में आई दिक्कतों समेत पिछले दो साल के दौरान कई बार आये व्यवधान के मद्देनजर रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को एचडीएफसी बैंक के ऊपर कार्रवाई की। निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक को फिलहाल डिजिटल सेवाओं के विस्तार तथा नया क्रेडिट कार्ड जारी करने से रोक दिया गया है।
बैंक अपना मुनाफा अपने पास रखेंगे

रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कोरोना वायरस महामारी के कारण आये आर्थिक व्यवधान को देखते हुए वाणिज्यिक बैंकों और सहकारी बैंकों से शुक्रवार को कहा कि वे मार्च 2020 में समाप्त हुए वित्त वर्ष का मुनाफा अपने पास रखें। रिजर्व बैंक ने कहा कि बैंकों को 2019-20 के लिए लाभांश का भुगतान करने की जरूरत नहीं है। केंद्रीय बैंक ने महामारी के चलते कायम दबाव तथा बढ़ी अनिश्चितता का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे समय में अर्थव्यवस्था को सहारा देने और कोई हानि होने की स्थिति में उसे संभाल लेने के लिये बैंकों के द्वारा पूंजी को संरक्षित रखना जरूरी है। रिजर्व बैंक ने अप्रैल में कहा था कि विनियमित वाणिज्यिक बैंक और सहकारी बैंक 31 मार्च 2020 को समाप्त हुए वित्त वर्ष के लिए अगले आदेश तक लाभ से किसी तरह के लाभांश का भुगतान नहीं करेंगे। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के द्वारा लाभांश के वितरण के संबंध में फिलहाल कोई दिशानिर्देश नहीं है।
डिजिटल भुगतान करना सुरक्षित होगा
केंद्रीय बैंक विनियमित संस्थाओं के लिए डिजिटल भुगतान सुरक्षा नियंत्रण निर्देश पेश करेगा। आरबीआई के इस कदम से डिजिटल भुगतान चैनलों की सुरक्षा में सुधार होगा और उपयोगकर्ताओं के लिये सुविधा भी बेहतर होगी। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि इन दिशानिर्देशों में उत्कृष्ट कंपनी संचालन की आवश्यकताएं तथा इंटरनेट एवं मोबाइल बैंकिंग, कार्ड से भुगतान आदि जैसे माध्यमों के आम सुरक्षा नियंत्रणों पर कुछ न्यूनतम मानकों के क्रियान्वयन व निगरानी की व्यवस्थाएं होंगी। उन्होंने कहा कि इस बारे में सार्वजनिक सुझाव के लए जल्दी ही मसौदा दस्तावेज पेश किया जाएगा।