यदि आप प्रकृति और वन्यजीवों से प्रेम करते हैं, तो बिहार के पश्चिम चंपारण स्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्व की सैर कर सकते हैं. हाल ही में इस रिजर्व में वन्यजीवों को जल उपलब्ध कराने के लिए एक नयी शुरुआत की गयी है.बिहार के एकमात्र बाघ अभयारण्य वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) में हरित ऊर्जा के जरिए पानी उपलब्ध कराया जा रहा है. बाघों और अन्य वन्यजीवों को गर्मी में पानी की कमी न हो और उसकी तलाश में उन्हें मानव बस्तियों तक न जाना पड़े, इसके लिए घास के मैदानों में मौजूद पानी के गड्ढों को भरने के पारंपरिक तरीकों में बदलाव किया गया है. इस अभयारण्य में पहली बार ऐसी पहल हुई है.
सौर ऊर्जा से चलने वाले पंपों का उपयोग
इस अभयारण्य में बाघों और अन्य वन्यजीवों को नियमित रूप से पानी उपलब्ध कराने के लिए कम खर्चीले और पर्यावरण अनुकूल सौर-संचालित पंप स्थापित किये गये हैं. इससे पहले जंगली जानवरों की प्यास बुझाने के लिए पानी के टैंकरों के जरिये जलाशयों को भरा जाता था. जाहिर सी बात है कि यह प्रक्रिया महंगी थी और इसमें समय भी बहुत लगता था. यहां के अधिकारियों का कहना है कि अब तक इस संरक्षित क्षेत्र में चार पंप स्थापित किये जा चुके हैं. यदि यह प्रयोग सफल रहता है, तो और अधिक पंप लगाये जायेंगे.
क्या होगा प्रभाव
प्यास बुझाने के लिए अभयारण्य में जब पानी की व्यवस्था होगी, तो जानवर पानी की तलाश में आसपास की बस्तियों में नहीं जायेंगे. अब तक यह होता आया है कि गर्मी के दिनों में जल निकाय और बाघ अभयारण्य से गुजरने वाली नदियों में या तो पानी कम हो जाता है, या वे सूख जाती हैं. ऐसे में बाघ समेत यहां रहने वाले अन्य वन्यजीव पानी की तलाश में आसपास के मानव बस्तियों में चले जाते हैं. इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की आशंका बनी रहती है.
जीवन रेखा हैं यहां मौजूद वाटर होल
इस बाघ अभयारण्य में प्राकृतिक और कृत्रिम मिलाकर कुल 40 वाटर होल हैं, जो या तो घास के मैदानों में बने हैं, या उसके आसपास स्थित हैं. ये यहां रहने वाले सभी वन्यजीवों के लिए जीवन रेखा हैं. बीते कुछ वर्षों से बिहार भीषण गर्मी का सामना कर रहा है और यहां लू का लंबा दौर भी देखा जा रहा है, इससे यहां पानी की कमी हो जाती है.
बाघों की संख्या 50 से अधिक हुई
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2023 में वीटीआर में बाघों की संख्या बढ़कर 54 हो गयी. वर्ष 2018 में यहां बाघों की कुल संख्या 31 और 2014 में मात्र 28 थी. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने बीती जुलाई में आधिकारिक तौर पर वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या में बढ़ोत्तरी की बात कही थी.
बिहार का एकमात्र बाघ अभयारण्य है वीटीआर
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व बिहार का एकमात्र बाघ अभयारण्य है. यह बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित है. विदित हो कि चंपारण जिले का नाम दो शब्दों- चंपा और अरण्य से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है चंपा के पेड़ों का जंगल. वीटीआर में वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान और वाल्मीकि वन्यजीव अभयारण्य दोनों ही शामिल हैं. वीटीआर वाल्मीकि वन्यजीव अभयारण्य 880 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यह उत्तर में नेपाल और पश्चिम में उत्तर प्रदेश से घिरा है.