Lok Sabha Election 2024: लोकसभा सीट समस्तीपुर (सुरक्षित) पर बिहार सरकार के दो मंत्री जो कि एक ही पार्टी (जदूय) में हैं, उनके बच्चों के बीच टकराव होने की उम्मीद है. एनडीए में शामिल चिराग पासवान की अगुवाई वाली लोजपा (रामविलास) ने बिहार सरकार में ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शांभवी (25) को मैदान में उतारा है. उन्होंने अपना प्रचार अभियान शुरू कर दिया है. यह सीट वर्तमान में चिराग के चचेरे भाई प्रिंस राज के पास है, जिन्होंने 2019 में लोजपा के उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी. 2021 में पार्टी तोड़कर चिराग से अलग हो जाने के कारण प्रिंस इस बार टिकट नहीं पा सके. दलित के लिए आरक्षित इस सीट पर 13 मई को वोट डाले जायेंगे. नामांकन की तारीख 18 से 25 अप्रैल है.
भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन ( इंडी गठबंधन ) ने अभी अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. चर्चा है कि सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री महेश्वर हजारी के बेटे सन्नी हजारी कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे. सन्नी पांच अप्रैल को पटना में कांग्रेस में शामिल हो गये थे. सन्नी की संसदीय क्षेत्र में सक्रियता और नामांकन की तारीख में चंद दिन बचे होने के बाद भी इंडी से किसी अन्य नाम की सुगबुगाहट न होना इस बात का संकेत है. सन्नी के नाम के ऐलान की औपचारिकता ऐन वक्त पर की जायेगी ऐसा सब मानकर चल रहे हैं. यदि ऐसा होता है, तो बिहार की राजनीति में यह दुर्लभ संयोग होगा कि एक ही पार्टी के नेता जो सरकार में मंत्री भी हैं, और उनके बच्चे दूसरी- दूसरी पार्टी (लोजपाआर और कांग्रेस) के सिंबल पर चुनाव मैदान में उतरे हों.
चौधरी खुलकर बेटी के साथ डटे
मंत्री महेश्वर हजारी अपने बेटे के कांग्रेस में जाने के फैसले से खुद को अलग कर लिया है. सन्नी हजारी 2021 से समस्तीपुर जिले के खानपुर ब्लॉक के प्रमुख हैं. जदयू के कर्मठ कार्यकर्ता के रूप में महेश्वर हजारी की दुविधा है. उनकी अपनी पार्टी जदयू और लोजपा -आर एनडीए का हिस्सा है. बेटा एनडीए के खिलाफ चुनाव लड़ेगा, तो उसके लिए वोट मांगना सहज नहीं होगा. वह खुद 2009 में समस्तीपुर लोकसभा सीट से ही जदयू के चुनाव चिह्न पर जीत दर्ज कर चुके हैं. इसके विपरीत मंत्री अशोक चौधरी किसी भी दुविधा से मुक्त होकर अपनी बेटी के लिए सक्रिय रूप से प्रचार कर रहे हैं. हालांकि समस्तीपुर का टिकट मिलने से पहले वह चाहते थे कि बेटी को जमुई से चुनाव लड़ाया जाये.
अपने परिवार में तीसरी पीढ़ी की नेता हैं सांभवी
दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक करनेवाली 25 वर्षीय शांभवी ने एमिटी यूनिवर्सिटी से समाजशास्त्र में भी पीएचडी कर रखी हैं. वर्तमान में ज्ञान निकेतन स्कूल, पटना में डायरेक्टर के पद पर अपनी सेवा दे रही हैं. उनकी शादी आचार्य किशोर कुणाल के बेटे सायन कुणाल से हुई है. किशोर कुणाल सेवानिवृत भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी और संस्कृत अध्येता हैं. वे बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष होने के साथ- साथ पटना के महावीर मंदिर न्यास के सचिव भी हैं. शांभवी संसदीय चुनावों में सबसे कम उम्र की उम्मीदवारों वाली सूची में हैं. हाल ही में एक सवाल के जवाब में एक टीवी न्यूज़ चैनल को दिये इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि ‘ वे पहले कभी समस्तीपुर नहीं गयी. लेकिन, उनकी सास समस्तीपुर से हैं. वह अपने परिवार में तीसरी पीढ़ी की नेता होंगी. उनके दादा महावीर चौधरी भी कांग्रेस के नेता थे. वह नौ बार विधायक चुने गये. बिहार की कई सरकारों में मंत्री भी रहे.
पति सायण और चिराग की दोस्ती काम आयी
एक चैनल को दिये एक साक्षात्कार में शांभवी ने यह बात स्वीकार की कि इतनी जल्दी राजनीतिक ब्रेक पति सायण और चिराग पासवान की दोस्ती के कारण मिला. शांभवी ने बीबीसी को यह भी बताया कि समस्तीपुर से उम्मीदवार बनाने से पहले या कई बार चिराग जी के साथ बातचीत हुई. लोजपा- आर ने सर्वे भी कराया था. वह जाति और धर्म के बाहर शादी की पक्षधर हैं.
सीट के सियासी समीकरण
2009 के बाद से एससी प्रत्याशियों के लिए आरक्षित समस्तीपुर में कांग्रेस 1984 के बाद नहीं जीती है. 2019 और 2014 में लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार रामचंद्र पासवान जीते थे. रामचंद्र पासवान के निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनके बेटे प्रिंस राज सांसद चुने गये थे. कांग्रेस के डॉ अशोक दूसरे स्थान पर रहे थे. यहां एससी मतदाताओं की संख्या लगभग 19.5% है. करीब 12.6% मुसलमान हैं. आठ फीसदी ‘ राय ‘ टाइटल वाले वोटर हैं. पासवान 7.7%, महतो 6.3%, यादव 5.8% तथा सिंह सरनेम वाले वोटर की संख्या पांच फीसदी है. हालांकि यह आंकड़ा अनुमान है. 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 9.8 , भाजपा को 15.3 , जेडीयू को 25.7, राजद को 12.58 तथा लोक जनशक्ति पार्टी को 9.1 फीसदी वोट मिले थे.
सियासी समीकरण
कुल वोटर | 1800893 |
पुरुष | 945962 |
महिला | 854902 |
थर्ड जेंडर | 29 |