हिंदू पंचांग के अनुसार, साल के दसवें महीने को पौष कहते हैं। इस महीने में हेमंत ऋतु का प्रभाव रहता है। इसलिए इस महीने में ठंड रहती है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, पौष माह में मुख्य रूप से सूर्य देव की उपासना की जाती है। मान्यता है कि इस महीने में सूर्य देव की विधि-विधान से पूजा करने से ऊर्जा और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस बार पौष मास 31 दिसंबर से 28 जनवरी तक रहेगा।
किस तरह से करें सूर्य उपासना-
प्रतिदिन स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें।
तांबे के पात्र से जल अर्घ्य करना चाहिए।
जल में रोली, लाल पुष्प और अक्षत डालना शुभ होता है।
अर्घ्य देते समय “ॐ आदित्याय नमः” का जाप करें।
मान्यता है कि इस माह में नमक का सेवन कम से कम करना चाहिए।
पौष माह में क्या बरतें सावधानियां-
पौष माह में मेवे और मास-मंदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। चीनी की बजाए गुड का सेवन करना उत्तम होता है। इसके साथ ही अजवाइन, लौंग और अदरक का सेवन करना लाभकारी होता है। इसके अलावा पौष माह में तेल और घी का ज्यादा प्रयोग करना उत्तम नहीं होता है।
पौष माह की महत्वपूर्ण बात-
इस महीने में मध्य रात्रि की साधना लाभकारी मानी जाती है। इसके अलावा इस महीने में गर्म वस्त्रों का दान करना उत्तम माना गया है। इसके अलावा लाल और पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।